भोजपुरिया हवे इंसान - अनिरुद्ध कुमार
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माथे गमछा, मोछे आन,
कचरे हरदम, मगही पान,
हर बोली में, लागी जान,
मन मोहे जब, मारे तान,
भोजपुरिया हवे इंसान।
बाते-बाते, देखीं शान,
आते=-जाते, हाल पुछान,
बोले-चाले, जीवन गान,
रोके-टोके, इज्ज़त प्रान।
भोजपुरिया हवे इंसान।
हर जीवन में, बा अभिमान,
बोली घोलल, मिसरी मान,
मधुर-मधुर बावे मुस्कान,
थोड़े में झलके सुखशान,
भोजपुरिया हवे इंसान।
छूड़ी से भी, तेज जुबान,
अदला-बदला में मस्तान,
मत होखीं अतना हैरान,
सबके आपन, बा सम्मान
भोजपुरिया हवे इंसान।
लइका चाहे, हो सेयान,
मोटे मे हीं खान पियान,
बाते बाते टांग खिचान,
डर काहे के, मस्त जवान,
भोजपुरिया हवे इंसान।
रोजी-रोटी , बिन बेजान,
बेकारी के, रोज बखान,
जाये के बावे भूटान,
पाहुन के आइल फरमान,
भोजपुरिया हवे इंसान।
आगा-पाछा कुछ ना ध्यान,
अपना धुनमें, देख उतान,
बबरी से इनकर पहचान,
हर रोजे बा नया उड़ान।
भोजपुरिया हवे इंसान।
दिल में बा कतना अरमान,
आमदनी से बा हलकान,
जूझ रहल बा किसमत मान,
जे लीखल दीहें भगवान,
भोजपुरिया हवे इंसान।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड