आजादी का उत्सव - झरना माथुर
Aug 15, 2023, 22:32 IST
आजादी का अमृत उत्सव
मनाओ मैं हिन्दोस्ताँ कहता हूँ,
मगर तुम सब भी तो मेरे मर्म को जानो जो मै अब सहता हूँ।
धर्मनिरपेक्षता,अनेकता में एकता ही पहचान है मेरी,
मगर जब रहने लायक नही समझ जाता
तो मैं रोता हूँ।
मुझें जाने बाहर वालों ने किस-किस तरह,
कैसे-कैसे लूटा,
मगर जब मेरे ही बेटे मुझें बाहर बेचे तो मैं रोता हूँ।
ऋषी,मुनी व भगवान कृष्ण और श्रीराम की ये भूमी रही है,
मगर जब पाश्चात्य का डँका बजता है,
तो मैं रोता हूँ।
प्राकर्तिक संसाधनों,
नदियों और पेड़ों का पावन स्थल हूँ,
मगर जब स्वार्थ के लिए मुझें काटा जाता तो मैं रोता हूँ।
मैने विश्व को शतरंज, शून्य,
शैम्पू जाने क्या-क्या दिया,
मगर जब मेरे बच्चे विदेश जाके कमाते है तो मैं रोता हूँ।
- झरना माथुर, देहरादून , उत्तराखंड