छंद - जसवीर सिंह हलधर

 
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संतों के भी संत थे वो विवेकी अनंत थे वो ।
लिपि में हलंत जैसे, ज्ञान अनुगामी थे ।।

संयमी अपार थे वो ,ज्ञान का भण्डार थे वो ।
सत्य औ सनातन के ,  पूर्ण परिणामी थे ।।

दुनियां में घूम-घूम , हिन्द की मचाई धूम ।
ध्यान योग साधना के , सत्य पथ गामी थे ।।

धर्म अधिवक्ता थे वो ,वेदों के प्रवक्ता थे वो ।
भक्ति और मुक्ति के वो , वैदिक आयामी थे ।।
 - जसवीर सिंह हलधर, देहरादून  
 

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