छंद (महिला दिवस) - जसवीर सिंह हलधर
Mar 9, 2024, 22:38 IST
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चाहे सतयुग रहा,चाहे त्रेता युग रहा ,
सभ्यता के रूप रंग भाँपती हैं नारियां।
लोक लाज व्यवहार ,सामाजिक अत्याचार ,
नीति या कुरीतियों को नापती हैं नारियां।।
गृहस्थ की ये पालिका हैं , क्रुद्ध हों तो कालिका हैं ,
युग चेतना की आग तापती हैं नारियां ।
कभी शांति की मिसाल ,कभी क्रांति की मशाल ,
रोज नया इतिहास छापती हैं नारियां ।।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून