दर्द बना दवा (बाल कहानी) - डॉ. दुर्गाप्रसाद शुक्ल 'आज़ाद’
Utkarshexpress.com - किसी जंगल में एक शेर रहता था। उसका नाम था सिंहराज। हाथी दादा महिपाल उसके मंत्री थे। इन दोनों की देख-रेख में उस जंगल में राज-काज बड़ी सुगमतापूर्वक चलता था। सारी प्रजा बड़ी सुखी थी। किसी से किसी का बैर नहीं था। सभी जंगलवासी आपस में मिल-जुलकर रहते थे। सभी मेहनत करके अपना कार्य करते, भगवान के गुण गाते और खुशी से अपना जीवन यापन करते थे। एक दिन की बात है हाथी दादा महिपाल जी को घमंड आ गया। उन्होंने अपनी ऊंचाई और उच्च पद का फायदा उठाना प्रारंभ कर दिया। प्रारंभ में तो जंगलवासियों ने हाथी दादा महिपाल की शरारतों को सहन किया पर कुछ दिन बाद जब हाथी दादा की शरारतें काफी बढ़ गईं तो सभी ने अपने राजा सिंहराज से शिकायत की और न्याय मांगा।
सत्यप्रिय एवं प्रजापालक सिंहराज ने सभी जंगलवासियों को उनकी रक्षा का आश्वासन दिया। जब सभी जंगलवासी अपने-अपने घर चले गए तो सिंहराज ने चीटियों की रानी चिम्को को अपने पास बुलाया। काफी विचार-विमर्श के बाद उन दोनों ने हाथी दादा महिपाल को सुधारने हेतु एक रूपरेखा बनाई। उसी के अनुसार चिम्को, हाथी दादा के घर पहुंची। रात का समय था। हाथी दादा सो रहे थे। अत: चिम्को सीधे हाथी दादा की सूंड़ में घुस गई और काटना प्रारंभ कर दिया। हाथी दादा महिपाल, दर्द के कारण तुरंत उठ बैठे! उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर बात क्या है। उन्होंने चिम्को से बाहर आने का आग्रह किया। पर चिम्को टस से मस न हुई। अन्त में हाथी दादा बहुत परेशान होकर गिड़गिड़ाने लगे। तब चिम्को ने समझाया कि मेरे काटने से यदि तुम्हें इतना दर्द होता है तो तुम्हारे सताने से उन जंगली जानवरों की क्या हालत होती होगी, जिन्हें तुम परेशान करते हो। आज तो मैं जा रही हूं पर अगले दिन तुम्हारे सही न होने पर फिर आऊंगी। बेचारे महिपाल जी, दूसरे दिन से ठीक रास्ते पर आ गए। अब सारे जंगल में खुशी का साम्राज्य था। (विभूति फीचर्स)