बेटी - अनिरुद्ध कुमार
Sep 27, 2023, 23:09 IST
बेटी प्यारी लाडली, बेटी पर विश्वास।
आगे पीछे डोलती, निश्छल मन की खास।
बेटी से नव आस।।
प्राण पखेरू बन फिरे, जब हो जावे भोर।
पापा पापा बोलती, तन-मन दे झकझोर।
बेटी नैन अँजोर।।
बेटी बिन सूनी गली, घर, आँगन, खलिहान।
नैनों से जब देख लें, खिल जाती मुस्कान।
बेटी मेरी जान।।
बेटी जीवन ताल है, बेटी दुर्गा रूप।
बेटी घर की लाज है, बेटी से यह भूप।
मनमोहनी स्वरूप।।
बेटी है जगतारिणी, करती जग कल्याण।
बेटी से दुनिया चले, बेटी से निर्माण।
बेटी से सुख शान।।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड