बेटी - ज्योति अरुण 

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बेटी कोई चीज नहीं जो दान कर दूं
मैं नहीं मानता इस रिवाज को,
क्योंकि बेटी कोई चीज नहीं है,
जिसे मै दान कर दूँ। 
मैं बांधता हूं बेटी को एक पवित्र बंधन में,
अपने पति के साथ घर संसार बसाना,
हम तुम्हें अलविदा नहीं कह रहे हैं,
तुम्हें मैं बस यही सीख दे रहा हूं कि
बस तुम अपने परिवार के साथ,
खूब प्यार से रहना ने अपने में समेट,
के रखना तुम कभी हारना नहीं ना डर के,
जीना ना किसी से किसी को डराना,
व्यवहार में खूबसूरती रखना,
किसी को छोटा ना समझना
बेटी तुम कभी अपने को निर्बल नहीं समझना।

सबको प्यार के सूत्र में बांधे रखना,
नई सोच के साथ तुम अपना जीवन,
व्यतीत करना और आगे हर लड़कियों,
के लिए एक मिसाल कायम करना,
यह तो समाज की विडंबना है कि....
- ज्योति अरुण श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश   
 

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