मौत एक कविता है - राजेश कुमार

 
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मौत एक कविता है जिसे हर कोई।
हर दिन हर पल हर क्षण क्षण में जीता है।।
कोई भी दुनिया का व्यक्ति इससे न अछूता है।
फिर भी न जाने किस घमंड और अभिमान में जीता है।।
दुनिया की चमक धमक ने इंसान इतना मगरुर है।
उसे पता नही की जीवन के आखरी सफर के लिए बिल्कुल अकेला है।।
मौत एक कविता है जिसे हर कोई हर दिन हर जीता है।
जिंदगी सिर्फ चार दिनों का मेंला है।।
इसमें न जाने कितना झमेला है।
फिर भी इंसान न जाने दूसरे की खुशी पर क्यों रोता है।।
सुख दुख खुशी गम सब अपने अपने कर्मो का लेखा है।
जैसा जिसने बोया वैसा ही फल उसको मिलता है।।
मौत एक कविता है जिसे हर कोई हर दिन हर पल हर क्षण जीता है।
- राजेश कुमार झा, बीना, मध्य प्रदेश  

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