ओस की बूंद - सुनील गुप्ता

 
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रात भर गिरी
जो ओस की बूंदें  !
दिखीं अल सुबह.......,
मोती सी बूंदें !!1!!

चमकते तुषार 
जो गिरे आसमां से   !
किसलयों ने संभाले......,
करीने से गोद में  !!2!!

सहेजकर रखा
अंतिम पलों तक  !
दिनकर से बचाया.....,
ख़्वाबों के टूटने तक !!3!!

उतर नभ्राट से 
चली हौले से शबनम  !
कहीं पे ना ठहरी.....,
आ पड़ी पुष्पअंक पल्लव  !!4!!

ये अप्रतिम गौहर
चलें सजाए मन बगिया  !
अपलक इन्हें देखकर.....,
भर आएं जीवन में खुशियाँ !!5!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान
 

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