ओस की बूंद - सुनील गुप्ता
Apr 12, 2024, 23:21 IST
रात भर गिरी
जो ओस की बूंदें !
दिखीं अल सुबह.......,
मोती सी बूंदें !!1!!
चमकते तुषार
जो गिरे आसमां से !
किसलयों ने संभाले......,
करीने से गोद में !!2!!
सहेजकर रखा
अंतिम पलों तक !
दिनकर से बचाया.....,
ख़्वाबों के टूटने तक !!3!!
उतर नभ्राट से
चली हौले से शबनम !
कहीं पे ना ठहरी.....,
आ पड़ी पुष्पअंक पल्लव !!4!!
ये अप्रतिम गौहर
चलें सजाए मन बगिया !
अपलक इन्हें देखकर.....,
भर आएं जीवन में खुशियाँ !!5!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान