दोहा छंद - अनिरुद्ध कुमार

 
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नित पूजा आराधना, करे जगत कल्याण।
जीवन को नव राह दे, कहता वेद पुराण।।

भगवन की आराधना, जो करता इंसान।
सुगम सरल जीवन लगे, जीना हो आसान।।

नित करना आराधना, प्रभु का कर गुनगान।
कृपा प्रभु की सदा रहे, फल देंते भगवान।।

मूल मंत्र आराधना,  हर धर्मों की जान।
बहुयामी यह देश है, सबके मान समान।।

जागो जागो हे पथी, करना नव निर्माण।
दिल से कर आराधना, तन-मन हो निर्वाण।।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड
 

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