मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक
Sat, 18 Mar 2023

प्रातः की पहली किरण ने उषा का अभिनन्द किया,
मीठे सुर में गौरैया ने सादर स्वागत गान किया,
मलय उड़ाता पवन बहा ,पुष्पों ने मृदु हास किया,
रवि ने अपने कर कमलों से धरती का श्रृंगार किया।
बौरों से डालें लदी हरष रहा रसाल,
कोयल कूक रही अविरल छिपी कहीं किस डाल,
बौराई वायु बही, उलझ रहे सब पात
गर्व से सर तान कर इतराया रसराज।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड