मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक

 
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दिव्यता में दिव्य रूप दिव्यता लिए सजे,
भव्यता में भव्य दृश्य भव्यता लिए दिखे
अनंत भाव हैं सजे अनंत शक्ति रूप के,
अनंत में अनंत की उपासना हृदय करे।

दिव्य शक्ति पुंज है स्वयं प्रकाश पुंज है,
भव्य शक्ति रूप है, विराट विश्व रूप है,
प्राण पुंज में विराजता स्वयंभू रूप है,
उसी परम ईश की उपासना हृदय करे।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड
 

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