मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक
Mar 16, 2024, 22:20 IST
सिर मोर मुकुट वंशी कर में,अधरन मुस्कान निराली है,
चंचल नैना तिरछी चितवन,श्याम छवि अति प्यारी है।
पीत वसन,वनमाल हिये पग पैंजन बाजति न्यारी है,
श्रृंगार किए क्या नंदलला,गोपी वा पर मनहारी है।
<>
फूलों पर हैं आशना कांटों पर ऐतराज,
फूलों की जो चाहना कांटों से कर प्यार।
कांटों से गुजरे बिना पाओगे न फूल,
जीवन का सच है यही कांटों के संग फूल।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड