मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक

 
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आज रचेंगे गीत नवल मिल,
भाव भव्य नव छंद रचेंगे
तुम देना स्वर, प्रिय! गीतों को
काव्य नवल हम आज रचेंगे।
हो रहा अति धीर हृदय प्रिय
नेह सुधा रस तुम बरसाना
हो जाए तन मन अतिहर्षित
ऐसा मधु मय राग सुनाना ।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड

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