दूधवाला - डॉ. सत्यवान सौरभ

 
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घर-घर आता सुबह शाम,
ड्रम दूध के हाथों में थाम।

दरवाजे पर आवाज लगाता, 
संग में लस्सी भी है लाता।

सुबह-सुबह जल्दी है उठता,
उठकर दूध इकठ्ठा करता।

साफ- सफाई रखता पूरी,
तोल न करता कभी अधूरी।

मिलावट से है कतराता,
दूध हमेशा शुद्ध ही लाता।

आंधी, वर्षा, सर्दी, गर्मी,
भूल सदा समय पर आता। 

सही समय पर आता दर पर,
चाय बने तभी तो घर पर।

सबको भाता ये मतवाला,
नाम है इसका दूधवाला।
-डॉ. सत्यवान सौरभ, उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045
 

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