दशहरा - सुनील गुप्ता 

 
pic

 (1) " द ", दहन करें मन बसे दुष्ट रावण का
               और मनाएं शुभ विजयादशमी का पर्व  !
               करके क्रोध रूपी दुश्मन का नाश.....,
               फैलाए चलें जीवन में खुशियाँ और हर्ष !!
(2) " श ", शत्रु हैं हमारे काम लोभ मोह 
               आओ करें इनका विनाश यहां पे  !
               त्याग घृणा अहंकार और व्यभिचार को...,
               करते चलें इन्द्रियों को अपने वश में !!
(3) " ह ", हरि नाम का करते सदैव स्मरण
               हरेक दिवस को श्रेष्ठ पावन बनाएं   !
               राम चारित्रय को उतारते जीवन में....,
               सबके जीवन में प्रेम आनंद बरसाएं !!
(4) " रा ", राग आसक्ति से बनाएं रखें दूरी
               और पक्षपात धोखे से बचकर चलें  !
               कभी ना खोएं मन का आपा और शांति..,
               और सहिष्णुता से जीवन जीए चलें !!
(5) " दशहरा ", दशहरा है पर्व आत्मावलोकन का
                 अपने मन को निर्मल स्वच्छ बनाने का !
                 करके दूर तन मन की समस्त वासनाएं..,
                 प्रभु श्रीराम को जीवन में उतारने का !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

Share this story