अहसास - ज्योति श्रीवास्तव

 
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प्रेम  सच्चा  अगर  नहीं  होता,
राधे कृष्णा   अमर  नहीं होता। 

रासलीला  रचायें  जग  में  जो,
नाम  राधे   मगर  नहीं  होता। 

धड़कनों   में  बसे  है  राधा के,
फिर हो दूरी  असर नहीं  होता। 

चांद फीका लगे  गगन  में जो,
चांदनी  साथ  गर  नहीं  होता।
 
नींद   बैरन   हुई   सनम   मेरी, 
जिंदगी  भी  बसर  नहीं  होता। 

पास रख लो न अब धड़कनों के, 
मेरा  दिल  बेसबर  नहीं  होता। 

थामते हाथ  गर  नहीं  *ज्योटी*, 
पार  मुश्किल सफ़र नहीं  होता। 
- ज्योति अरुण श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश  
 

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