चुनावी दोहे - सुधीर श्रीवास्तव
May 7, 2024, 21:46 IST
जिनको हमने था चुना, दिया सभी ने दांव।
फिर चुनाव जब आ गया, करें गांव भर कांव।।
फिर चुनाव के दौर में, नया नया है रंग।
नेता जी खुशहाल हैं, जनता है बदरंग।।
जनता के दुख-दर्द का, नेता करते ख्याल।
वोटों की खातिर करें, चलते अपनी चाल।।
राजनीति की नीति है, जनसेवक का कर्म।
जीत गये स्वामी बने ,भूल गये सब धर्म।।
जनता का अधिकार है, लोकतंत्र के नाम।
खुद की चिंता में घुले, नेता जी का काम।।
सोच समझ कर कीजिए, अपने मत प्रयोग।
पांच साल फिर कीजिए, लोकतंत्र उपयोग।।
मतदाता गुमराह है, हुआ चुनाव ऐलान।
नेता जी सेवक बने, मुफ्त बांटते ज्ञान।।
- सुधीर श्रीवास्तव, गोण्डा, उत्तर प्रदेश