फ़ागुना महिना - निहारिका झा

 
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होली - 
पावन महिना फ़ागुना, सबको खूब रिझाय।
होली के इस रंग में,हर जन डूबत जाय।।1।।

होली का यह पर्व है,रँगों का त्यौहार।
देता है संदेश यह ,प्रेम का बस संचार।।2।।

रंगों की हर आँगना, पड़ती जो बौछार।
छलकी खुशियां प्रेम की,दिखे न पारावार।।3।।

होली खेलो प्रेम से,आपस मे मिल यार।
भूलो सारे बैर को,बस बांटो तुम प्यार।।4।।
मुक्तक - 
लगा लो रंग फिर होली न वापस जल्द आएगी।
जो बीतेगी घड़ी फिर से कभी वापस ना आएगी।।
रंगों से है भरा संसार सबको अब लुभाता है।
नहीं रखना कसर होली बरस इक बाद आएगी।।
- श्रीमती निहारिका ओम झा, खैरागढ़ राज.(36 गढ़)
 

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