मेरी कलम से - डॉ. निशा सिंह
Aug 22, 2024, 22:48 IST
दुश्मनी कितनी भी गहरी हो मगर।
पीठ पीछे पर न कोई वार हो।।
नफ़रत की आग को हवा देते नहीं हैं वो ।
जिनको भी इश्क़ है यहाँ हिन्दोस्तान से।।
मुझे रस्मों रिवाजों के न बाँधों बंधनों में तुम।
तमन्ना है मेरी तारे फ़लक से तोड़ लाने की ।।
बेच ईमां को ईमानदारी करे ।
संत बनकर वो चोरी चकारी करे।।
चाह में शोहरतों के है देखा "नवल"।
अब क़लमकार भी चाटुकारी करे।
-डॉ. निशा सिंह 'नवल' (लखनऊ)