मेरी कलम से - डॉ. निशा सिंह
Aug 31, 2024, 22:28 IST
चार सू बस है रक़ाबत आदमी के दरम्यां।
देखिए हालात-ए-दुनिया क्या ज़माना आ गया।।
सो रहे जो उन्हें हम जगाते रहें।
आईना सच का उनको दिखाते रहें।।
फ़र्ज़ इंसानियत का है होता यही ।
काम हम एक दूजे के आते रहें।।
हूँ इत्र की ख़ुशबू गुलों के बाद रहूंगी ।
मैं दिल के चमन में सदा आबाद रहूंगी।
सहमे डरे मज़लूमों की आवाज़ मैं बनकर,
दुनिया को"नवल"सदियों तलक याद रहूंगी ।
डॉ. निशा सिंह 'नवल' (लखनऊ)