मेरी कलम से - डॉ. निशा सिंह
Sep 4, 2024, 23:50 IST

यहाँ नीलाम जिस्मों से मुहब्बत कौन करता है।
लुटे जब आबरू तो फिर इनायत कौन करता हैl
सरे बाज़ार देखा है दिलों को टूटते हमने,
समझकर प्रेम को पूजा इबादत कौन करता है।
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न समझो तुम 'नवल' को दीप नन्हा।
हवाओं में भी जलना जानते हैं।।
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आवाज़ दबाते हैं आवाम की अब नेता ।
है दौर नहीं पहले वाला वो सियासत का।।
-डॉ. निशा सिंह 'नवल',लखनऊ, उत्तर प्रदेश