गीत (माँ) - मधु शुक्ला

 
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मातृ दिवस पर प्रेम जताना, गीत सुनाना माता के।
आज फेसबुक ने सिखलाया,भक्त हुए हम ज्ञाता के।

ईश्वर ने पूजा जननी को , वेदों  ने  गुणगान  किया। 
माँ के आँचल की छाया का,संतो ने सम्मान किया।
आदि काल से हैं मुरीद सब, पूज्यनीय इस नाता के.... ।

त्याग क्षमा ममता की मूरत, ईश नहीं यदि उपजाता।
पालन पोषण इस दुनियाँ का, सोचो कैसे हो पाता।
इस पावन उपहार हेतु सब , आभारी हैं दाता के......।

नवयुग का प्रस्थान धरा पर, अवनति माता की लाया।
माता का अस्तित्व न संतति, के अंतस में रह पाया।
धन के भक्त निकट नहीं जाते, ममता रूपी छाता के.... ।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश .
 

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