गीतिका - मधु शुक्ला
Wed, 17 May 2023

प्रोत्साहन अपनत्व मिले तो,
मौन मुखर हो जाये।
जीवन को मकसद मिल जाये,
मन पंछी मुस्काये।
भावों के मोती जब गुहते,
शब्दों के धागे में।
गीत, गजल, गीतिका सुहानी,
जन्मे हमें लुभाये।
रहा पिछड़ता आँगन वह जो,
दमन करे नारी का।
प्रायः शिक्षित बेटी ने ही,
गीत प्रगति के गाये।
शोषण के जब बजे नगाड़े,
क्रांति सूर्य तब दहका।
आजादी के नारों को सुन,
बाहुबली थर्राये।
मिले स्वरों को जब रियाज सुख,
मृदुता उपजे भारी।
होनहार गायक हो पैदा,
श्रोता जन हर्षाये।
--- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश