गीतिका - मधु शुक्ला
Jul 22, 2023, 22:59 IST

बाँह फैला आँसुओं को गह लिया बरसात ने,
प्रेम का उपहार प्यारा दे दिया बरसात ने।
लोक सेवा से बड़ा तप है नहीं संसार में,
कर्म द्वारा यह प्रसारित ही किया बरसात ने।
उष्णता से मुक्ति का कैसा हृदय पर हो असर,
इस सुखद अनुभूति का प्याला पिया बरसात ने।
बाँट कर खुशियाँ मिले क्या यह विदित सबको नहीं,
सुख मनोहर यह हमेशा ही जिया बरसात ने।
हर हृदय में पा सके कोई जगह मुमकिन नहीं,
था कठिन पर पा लिया ऐसा ठिया बरसात ने।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश