गीतिका - मधु शुक्ला
Aug 20, 2023, 20:18 IST
पूछना है प्रश्न यह भगवान से,
खेलता नर क्यों सदा निज आन से ।
शक्ति का अवतार यदि हैं नारियाँ,
क्यों न परिचित हो सकीं सम्मान से ।
कीमती क्यों कुर्सियाँ इतनी हुईं,
छिन गई इंसानियत इंसान से।
यदि रहा नायक दुशासन भूमि का,
फायदा क्या राम के गुणगान से।
देख कर जो मौन रहते पाप को,
जी नहीं सकते कभी वे शान से।
— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश