गीतिका - मधु शुक्ला

 
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वृक्ष हिंदी का सघन होता रहेगा,
प्रेम से यदि व्यक्ति हर हिंदी पढ़ेगा।

हैं सभी भाषा मनोहर सच यही है,
किन्तु जननी वंदना ही मन करेगा।

बात कहने के लिए भाषा बनी है,
बोलियों को इसलिए गहना पड़ेगा।

मान हिंदी का बढ़े कोशिश करें हम,
खाद देंगें जब तभी तरुवर फलेगा।

विश्व में हिंदी सदृश भाषा नहीं है,
काव्य प्रेमी सर्वदा इसको लिखेगा।
— मधु शुक्ला.सतना, मध्यप्रदेश
 

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