गीतिका - मधु शुक्ला
Sep 24, 2023, 23:09 IST

सैर करता है हृदय जब हसरतों के गाँव में,
तब हकीकत की धरा चुभती हमारे पाँव में।
ईश की प्यारी अमानत है हमारी जिंदगी,
हम इसे सज्जित रखें हरदम सृजन की छाँव में।
स्वप्न देखे बिन नहीं होती प्रगति संसार की,
इसलिए विश्वास करना ही पड़े हर दाँव में।
पथ हमारा श्रेष्ठ पावन हो भरोसा जब अटल,
मत उलझना काग की आलोचना की काँव में।
रोशनी नव हर किसी की आँख को भाती नहीं,
शोर हो जब व्यर्थ का तो मत उलझना चाँव में।
छल कपट की छाँव में जीवन नहीं पाता दिशा,
'मधु' सदा करना गुजर तुम सत्य के ही ठाँव में।
— मधु शुक्ला,सतना, मध्यप्रदेश