गीतिका - मधु शुक्ला
Oct 22, 2023, 22:50 IST
जगजननी जगदम्बे माँ के, देखे हमने रूप अनेक,
भक्तों की पीड़ा हरने को, धरे रूप माँ ने प्रत्येक।
काली बनकर असुर मिटाये, हरे सभी जग के सताप,
सरस्वती बन दान किया है, प्रिय भक्तों को बुद्धि विवेक।
यश, वैभव, सुख, शांति प्रदाता ,गहा मात ने लक्ष्मी रूप,
वास रमा करतीं जिस घर में,सन्मति का होता अतिरेक।
सभी रूप माता के उत्तम,अभय दान पाते हैं भक्त,
करो वंदना माँ की मन से,शक्ति स्वरूपा माता एक।
— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश