गीतिका - मधु शुक्ला

 
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एकता, सद्भावना के स्वप्न आते आजकल,
स्वप्न मेरे चेतना के गीत गाते आजकल।

हिन्द की प्राचीन संस्कृति मान पाती विश्व में,
राष्ट्र के नायक सराहे खूब जाते आजकल।

देश भारत में छुपा भंडार भारी ज्ञान का,
श्रेष्ठ जग के शोधकर्ता यह बताते आजकल।

त्याग, ममता, प्रेम, अपनापन विरासत हिन्द की,
जान कर यह जग निवासी सिर झुकाते आजकल।

हैं प्रचुर  जग  में  प्रशंसक  लोग  राजा राम के,
लोक हित में रामजी को सब बुलाते आजकल।
— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश
 

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