ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर
Jan 17, 2025, 22:18 IST

कितनी हुई है आयु पूछ मत सवाल और ।
इस ज़िन्दगी के नाम जुड़ा एक साल और ।
साहित्य साधना का काम शेष है अभी ,
ए मौत अपने आप को कुछ वक्त टाल और ।
देखा जो आइने में मैंने अक्स यार का ,
आने लगा है उस पे अब तो जमाल और ।
बापू गया भाई गया अब और क्या बचा ,
मां की बची हुई है अभी एक ढाल और ।
मैंने कहा कुछ और था उसने ग़लत सुना ,
उसका खयाल और था मेरा खयाल और ।
सारी ज़मीन बेच कर सट्टा लगा दिया ,
अब खानदानी पाग को यूं मत उछाल और ।
पहली दफ़ा कड़वी लगी अब रास आ गई ,
दो तीन तक तो ठीक है चौथा न डाल और ।
इस चार दिन की ज़िन्दगी को शान से जियो,
जो भी मिला सब ठीक है मत कर मलाल और ।
शेरो सुखन के शौक में आने लगा मज़ा,
करने लगे 'हलधर' कलाम कुछ कमाल और ।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून