ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर

 
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कितनी हुई है आयु पूछ मत सवाल और ।
इस ज़िन्दगी के नाम जुड़ा एक साल और ।

साहित्य साधना का काम शेष है अभी ,
ए मौत अपने आप को कुछ वक्त टाल और ।

देखा जो आइने में मैंने अक्स यार का ,
आने लगा है उस पे अब तो जमाल और ।

बापू गया भाई गया अब और क्या बचा ,
मां की बची हुई है अभी एक ढाल और ।

मैंने कहा कुछ और था उसने ग़लत सुना ,
उसका खयाल और था मेरा खयाल और ।

सारी ज़मीन बेच कर सट्टा लगा दिया ,
अब खानदानी पाग को यूं मत उछाल और ।

पहली दफ़ा कड़वी लगी अब रास आ गई ,
दो तीन तक तो ठीक है चौथा न डाल और ।

इस चार दिन की ज़िन्दगी को शान से जियो,
जो भी मिला सब ठीक है मत कर मलाल और ।

शेरो सुखन के शौक में आने लगा मज़ा,
करने लगे 'हलधर' कलाम कुछ कमाल और ।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून 

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