ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर
Feb 23, 2024, 21:30 IST
मज़हबी उन्माद में कुछ मुल्क हैं ख़ाना ख़राब,
कौन सा इस्लाम है आतंक है जिसका रकाब।
आ रहे बरवाद होने के पड़ोसी के पयाम,
कर्ज़ लेकर पी गए शासक विदेशों में शराब।
अब इसे हम पाक बोलें या कहें आतंकवाद,
कौन है इस प्रश्न का जो दे सके सच्चा जवाब।
मस्जिदों में हैं धमाके भूख से रोता समाज,
आदमीयत बेच मुल्ले बन गए आली जनाब।
सरवरे कुफ्फ़ार चीनी थे कभी जिसके अज़ीज़,
पाक की मईशत डुबो दी और लूटी आबोताब।
कारनामे पाक के मानो नहीं ये इत्तेफ़ाक,
काफ़िरों पर कर रहे हैं बेवजह मुल्ले इताब।
भीख शरीयत में कहां वाजिब लिखी "हलधर" बता ,
कौन से इस्लाम ने इसको किया है मुस्तज़ाब ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून