ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर
Sep 25, 2024, 22:17 IST
राजनेता देखिए तो किस क़दर जिद पर अड़े हैं ।
राजगद्दी के लिए आतंकियों के पग पड़े हैं ।
वो भला कैसे पढ़ेंगे पेट का भूगोल मेरा ,
मेज पर जिनके सजे कुछ योजना के आंकड़े हैं ।
देश की सरकार तो बस एक खंबे पर टिकी है,
और खंबे तो यहां बस जी हुजूरी में खड़े हैं ।
प्रेम की बरसात देखो हो रही घुसपैठियों पर ,
युद्ध की चेतावनी पर सो रहे चिकने घड़े हैं ।
मूल्य निर्धारण में देखो खामियां ही खामियां हैं ,
सौ टमाटर बिक रहे हैं चार दिन पहले सड़े हैं ।
खेत में फांसी लगाकर क्यों मरे हल्कू ,फकीरा ,
मंडियों के आढ़ती ने व्याज के कब्जे जड़े हैं ।
ठोकती सरकार दावा आय को दुगनी करेगी ,
घाव "हलधर"इस सदी के गत सदी से भी बड़े हैं ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून