ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर
Oct 1, 2024, 22:57 IST
किसने हमें भेजा यहां किसने बुलाए हैं ।
आंखें किराए की हैं ये आंसू पराए हैं ।
परलोक में हूरें नहीं खोजी बहुत वहां ,
अल्लाह जाने झूठ ये किसने लिखाए हैं ।
जन्नत में मय का कोई भी दरिया नहीं मिला ,
मयखाना देख हम जमीं पे मुस्कुराए हैं ।
साकी पिला दे जाम तू मयनोश कर हमें ,
सदियों के बाद पैर आज लड़खड़ाए हैं ।
वरदान या अभिशाप है ए जिंदगी बता ,
रोते हुए बच्चे यहां किसने सताए हैं ।
इंसान के दीदार को आंखें तरस गईं,
कुछ लोग मजहबों ने फरिश्ते बनाए हैं ।
क्यों जानवर बदनाम हैं ' हलधर' हमें बता ,
इस आदमी ने जानवर जी भर चबाए हैं ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून