ग़ज़ल (हिंदी)  - जसवीर सिंह हलधर

 
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किसने हमें भेजा यहां किसने बुलाए हैं ।
आंखें किराए की हैं ये आंसू पराए हैं ।

परलोक में हूरें नहीं खोजी बहुत वहां ,
अल्लाह जाने झूठ ये किसने लिखाए हैं ।

जन्नत में मय का कोई भी दरिया नहीं मिला ,
मयखाना देख हम जमीं पे मुस्कुराए हैं ।

साकी पिला दे जाम तू मयनोश कर हमें ,
सदियों के बाद पैर आज लड़खड़ाए हैं ।

वरदान या अभिशाप है ए जिंदगी बता ,
रोते हुए बच्चे यहां किसने सताए हैं ।

इंसान के दीदार को आंखें तरस गईं,
कुछ लोग मजहबों ने फरिश्ते बनाए हैं ।

क्यों जानवर बदनाम हैं ' हलधर' हमें बता ,
इस आदमी ने जानवर जी भर चबाए हैं ।
  - जसवीर सिंह हलधर, देहरादून  
 

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