ग़ज़ल हिंदी - जसवीर सिंह हलधर 

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कुछ चैनलों  में आज कल  क्यों मज़हबी यलगार है?
क्यों हिन्दुओं को धमकियां ये कौन सा व्यवहार है ?

क्या सभ्यता मेरी कभी भी मौत से पीछे हटी ?
धमकी हमें जो दे रहा क्या युद्ध को तैयार है ?

वो हिन्दुओं की सहिष्णुता के सार को जाना नहीं ,
पाताल तक है नीव इसकी व्योम तक विस्तार है ।

कौमी वफा़दारी कभी मजबूरियां मत मानना ,
जिसको मिटाने को चला वो हिन्द का आधार है ।

क्यों हिन्दुओं से युद्ध की इतनी तड़प  है बाबलो ?
मज़हब नहीं ये सभ्यता है ओम जिसका सार है ।

क्या मंच से ललकार कर जिन्ना बनेगा दूसरा ?
गांधी नहीं अब देश में ये भाजपा सरकार है ।

सजदा किया हमने हमेशा सर झुकाया है सदा ,
यह देश है हर कौम का ये राम का दरबार है ।

बेरोजगारी भूख का चर्चा नहीं क्यों कर रहा ?
धोखाधड़ी है कौम से क्या ये सही  किरदार है ? 

हालात कैसे हो गए "हलधर "कभी सोचा नहीं ,
आतंक का अब्बा मियां ख़ुद देख ले बीमार है ।
 - जसवीर सिंह हलधर , देहरादून 
 

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