ग़ज़ल हिंदी - जसवीर सिंह हलधर
Thu, 18 May 2023

गरीबी भूख वीरानी सुनो सारे जहां में है ,
अमीरों की कदरदानी सुनो सारे जहां में है ।
कहीं थोड़ा कहीं ज्यादा कहीं पूरा कहीं आधा ,
दुखी की आँख में पानी सुनो सारे जहां में है ।
कहीं आतंक डेरा है कहीं नस्ली वसेरा है ,
जहालत और हैवानी सुनो सारे जहां में है ।
किसी का हाल खस्ता है किसी की मौज मस्ती है ,
कहीं भिक्षुक कहीं दानी सुनो सारे जहां में है ।
किसी के पास एटम है किसी पे खास वैपन है ,
उगी यह सोच शैतानी सुनो सारे जहां में है
किया अध्यक्ष ने कौतुक वजारत सो रही देखो ,
खिलाड़ी को परेशानी सुनो सारे जहां में है ।
विजेता बेटियां घर में दुखी बैठी हैं धरने पर ,
अचंभा और हैरानी सुनो सारे जहां में है ।
अभी "हलधर" कहा थोड़ा गधे को क्यों कहूँ घोड़ा ,
सियासत गिद्ध के मानी सुनो सारे जहां में है ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून