ग़ज़ल हिंदी - जसवीर सिंह हलधर
Aug 5, 2023, 22:08 IST

धरा को पेड़ पौंधों से मिला जो आवरण है ।
दिया नदियों ने हमको स्वर्ग का वातावरण है ।
न डालो गंध नदियों में न काटो वृक्ष भाई ,
हमारा काम यह मानो हमारा आमरण है ।
अभी जागे नहीं तो कौम का नुकसान होगा ,
सभी बीमारियों के मूल में पर्यावरण है ।
प्रदूषित हो गयी है मात गंगा भी हमारी ,
सभी नदियों ने बदला आज अपना आचरण है ।
समुंदर में भी देखो आज विष के झाग उठते ,
मिसाइल छोड़ने का सिंधु में दूषित क्षरण है ।
ज़मीनी संतुलन बिगड़ा तो अंबर रो उठेगा ,
गिरेंगे पिंड उल्काएं भयानक व्याकरण है ।
हरेला पर्व पर मिलकर लगाओ पेड़ यारो ,
यही "हलधर"हमारी ज़िंदगी का अभिकरण है ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून