ग़ज़ल - विनोद निराश
Sep 13, 2024, 23:10 IST
कल उनका इशारा हो गया,
वो जान से प्यारा हो गया।
रु-ब-रू जो हुए जाने-वफ़ा,
इश्क़ उनसे हमारा हो गया।
हया से निगाह क्या झूकी,
हंसीं सा नज़ारा हो गया।
अहद-ए-वफ़ा जो की उसने,
सारा जहां हमारा हो गया।
मन परिंदा बन परवाज़ भरे,
कमसिन वो दुलारा हो गया।
जब से मिला मुझे वो निराश,
घर का मेरे सितारा हो गया।
- विनोद निराश , देहरादून