ग़ज़ल - ज्योति अरुण
Wed, 22 Feb 2023

ज़रा पास आके नज़र में बसाले,
तुम्हें हम दिखे अब ये पर्दा हटाले।
सुनो दिल की बाते गले से लगाले,
ये धड़कन भी करती हूं तेरे हवाले।
चलेंगी तभी ये सर को उठाकर,
जरा खोल दो बेड़ियां और ताले।
करो हौसला अब नसीबा बदल दो,
छटेंगे ये बादल देखोगे उजाले ।
सताते बहुत हो हमें तुम ओ हमदम,
जरा सामने आ के हम को हॅंसाले।
कभी तुम रूलाते हँसाते भी हमको
किया कैसा जादू सुनो बंशी वाले ।
सदा "ज्योति" हमदम चली संग तेरे,
थकी हूं जरा तो बाहों में उठाले।
- ज्योति अरुण श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश