ग़ज़ल - ज्योति अरुण
Mon, 6 Mar 2023

तुम गरीबों को तो आकर देख लो,
जी रहे कैसे ये बेधर देख लो।
बस किताबी रह गई है योजना,
अब तो तुम सरकार बदल कर देख लो।
सुन झलक दिखला भी दो अब जरा,
कब से बैठी आस लेकर देख लो।
जीत कर नेता बने जिसके लिए,
वो ही लूटे हक व जेवर देख लो।
अब दिखा दो इक नया सा आसमां,
दे गरीबों को भी अवसर देख लो।
वोट लेकर बन गए सरकार जब,
पीठ में खोपे वो खंजर देख ले।
ज्योति" जाने पैंतरे सरकार के,
भ्रम में रखते वे बराबर देख लो।
- ज्योति अरुण श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश