ग़ज़ल - कविता बिष्ट

 
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दोस्ती तुम नवाब से कर लो।
दूरियां सब शराब से कर लो।।

ज़िंदगी को कभी सजाया कर।
आरती नित गुलाब से कर लो।।

सादगी से बिता दिया जीवन।
आशिक़ी गर शबाब से कर लो।।

मौसमी रंग उड़ गया देखो।
आओ अब प्यार आब से कर लो।।

रौशनी से भरी रहें राहें।
'नेह' नेकी जनाब से कर लो।।
~कविता बिष्ट 'नेह' , देहरादून
 

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