गजल - मधु शुक्ला
Apr 29, 2023, 18:50 IST
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प्रीत का शृंगार होना ही था,
इश्क को गुलजार होना ही था ।
हर हृदय को प्रिय लगे अपनापन,
छल कपट बेकार होना ही था ।
स्वास्थ्य पाओ हास्य को अपनाकर,
मान्य यह उपचार होना ही था ।
चाहता मनमीत मन का आँगन,
हर किसी को प्यार होना ही था।
जब मिला हमदर्द 'मधु' को उत्तम,
तब सुखद संसार होना ही था ।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश