गजल - मधु शुक्ला
May 5, 2023, 22:05 IST

नगर मन का पड़ा खाली करो गुलजार आकर तुम,
हमारा प्रिय निवेदन यह करो स्वीकार आकर तुम।
गये परदेश जब से हाल पूछा ही नहीं मेरा,
करो बीमार दिल का अब उचित उपचार आकर तुम।
हमें उपहार देती अश्रु उड़कर धूल यादों की,
मिटेगा क्लेश यह तब ही करोगे प्यार आकर तुम।
पड़ा सुनसान रहता है महल उर का तुम्हारे बिन,
करो गुलजार जल्दी से इसे भर्तार आकर तुम।
हृदय वीणा न छेड़े राग कोई भी सजीला अब,
कहे 'मधु' प्रेम का कर लो मधुर इजहार आकर तुम।
— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश