गजल - मधु शुक्ला

 
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दिखा - दिखा कर हसीन सपने गुलाम हमको बना रहे हैं,
वफा हमेशा युवा रहेगी यकीन हर पल दिला रहे हैं।

दिमाग दिल में छिड़ी लड़ाई किसे कहें हम सही बताओ,
तरह - तरह के विचार अपनी हमें अहमियत बता रहे हैं।

पता नहीं क्यों हृदय हमारी न बात माने करे बगावत,
हुआ पराया हृदय मगर हम किसी तरह से निभा रहे हैं।

समय हँसाये समय रुलाये न आदमी की चले जगत में,
बना समय मित्र आज उनका इसीलिए मुस्करा रहे हैं।

न जिंदगी जानती वफा पर करें सभी प्यार जिंदगी से,
यही चलन शत्रु 'मधु' हमारा हमें यही गुरु सिखा रहे हैं।
 ---  मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश .
 

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