ग़ज़ल - रीता गुलाटी

 
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वीर मेरे देश के तन घाव खाकर सो गये।
आँसमा को ओढ़ कर धरती को बिछाकर सो गये।

खूबसूरत देश पर तो जान भी कुर्बान है।
वीर बच्चे कर्ज माटी का चुका कर सो गये।

बज रहा है आज डंका देश भारत विश्व में।
हो गया आजाद भारत मान पाकर सो गये।

आज कह दो अब सभी से देश प्यारा है बड़ा।
अब मिला सम्मान जग मे खुद फिदा कर सो गये।

क्यो करे हम बात मजहब की,बुरी ये बात है।
अन्नदाता देश मेरा सब लुटाकर सो गये।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़
 

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