ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Oct 1, 2023, 23:05 IST
आज जीते है खुदा की ही इबादत के लिये,
प्यार बाँटें है सभी को ही मुहब्बत के लिये।
माँग हमने भी सजाई जिये लम्बी तू उमर,
आज कुर्बत से जिये यार सलामत के लिये।
मर रहे भूख से दिन रात, हकीकत समझो,
हम तो आवाज उठायेगें बगावत के लिये।
आ बचे यार मशक्कत से भरी दुनिया से,
कर जमाने मे सआदत को भी जन्नत के लिये।
प्यार तुमसे है किया यार मुगालते मे न रह,
यार पूजा है तुम्हें आज नफासत के लिये।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़