ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Nov 8, 2023, 21:01 IST
आज देखा अजब नजारा है,
यार माँगे कि प्यार सारा है।
भूल जाते खुदा को,इतराते,
दरद डूबे मिले इशारा है।
घुट रही थी सुनी जफा बातें,
बेवजह अब गमों ने मारा है।
कर रही थी बड़ी मशक्कत मैं,
अब रफाकत ने हमको मारा है।
तड़फना छोड़ दे न आहें भर,
दिल हमारा था अब तुम्हारा है।
कर लो सजदा खुदा के दर आकर,
भूल बैठा गमों का मारा है।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़