ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Feb 5, 2024, 22:23 IST
क्यो लुभाते यार हमको शायरी से,
हो गये है अब दिवाने अजनबी से।
हो रहा चर्चा तुम्हारी सादगी का,
खिल रहा है रूप तेरा आशिकी से।
दूर तुमसे अब रहा जाता नही है,
क्यो सताते हो हमे दीवानगी से।
खूब देखा प्यार तेरा, नाचना भी,
डर लगे हमको तेरी आवारगी से।
प्यार तेरा जब मिला हम मुस्कुराये,
खुश हुऐ हम तो सजन की शायरी से।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़