ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Feb 21, 2024, 22:31 IST

वो हमनवां है मेरा या कहो खुदा कोई,
सता रहा था मुझे बन के बेवफा कोई।
वो दर्द आज दिया गम भी दे गया कोई,
करीब यार मिरा सब गया भुला कोई।
खुदा की है ये दुआ यार ढूँढता था हमे,
मुझी से पूछ रहा था मेरा पता कोई।
हुई अगर है खता यार तू बता मुझको,
मेरे सनम तू ही कह,आज क्या गिला कोई।
छुपा हुआ था ये दिल आज गम के साये मे,
नही मिला है सुकूँ दे गया सजा कोई।
किया है प्यार भी तुमसे जरा सुनो मेरी,
हुआ है यार मुहब्बत का सिलसिला कोई।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़