ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Feb 29, 2024, 23:03 IST

परिंदे लौट आयेगे सुनहरी शाम ढलने दे,
रूकेगे वो कहाँ जाकर अकेले रात टलने दे।
बिना तेरे जिये कैसे बड़ी चाहत से है पाला,
नजर भर देख लूँ तुमको,दुआ के हाथ चलने दे।
निभाता गर्व से जो फर्ज कह संतान है बेटा,
लगे हमको बड़ा प्यारा खुशी से आज पलने दो।
बिखेरे प्यार वो सब पर लगे हमको बड़ा प्यारा,
दुआएं दिल से है निकले,खुशी के पंख झलने दे।
सहे वो दर्द भी दिल मे,नही मुख से कभी बोले,
बिना माता पिता के सुत को बस आगे तू बढने दे।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़